गाँव में स्कूल न होंने के कारण बचपन में ही छोड़ना पढ़ा घर, 18 साल के बाद IAS बनकर लौटा अपने गाँव

गाँव में स्कूल न होंने के कारण बचपन में ही छोड़ना पढ़ा घर

अगर वह अपने दिल में इरादा कर लिया और जोड़ना शेर के साथ किसी काम में  किसी काम में लग जाए तो वहफिर उससे पीछे नहीं हटते उसमें सफलता प्राप्त कर कर ही रहते हैं चाहे वह भारत की सबसे कठिन  समझी जाने वाली यूपीएससी की परीक्षा ही क्यों ना हो हर साल जब यूपीएससी के आंकड़े आते हैं तब उसमें बिहार के छात्रों का ही दबदबा रहता है और इस कठिन समय वाली परीक्षा पास करके दिखा देते हैं कि बिहार के युवा भी देश के किसी अन्य राज्य के युवाओं से शिक्षा के मामले में काम नही हैं |

आईएएस अमित कुमार जी

आज हम बात करने जा रहे हैं युवा अधिकारी सुमित कुमार जो कि बिहार के एक गांव के रहने वाले हैं । सुमित कुमार पिताजी बहुत गरीब थे। मगर गरीबी के हालातों में भी अपने पुत्र की पढ़ाई की पढ़ाई जारी रखी उसमें कोई बाधा नहीं पढ़ने दी।

उनके पिताजी का सपना था कि उनका बेटा बड़ा अधिकारी बने जो समाज के साथ साथ देश का नाम रोशन करें|

सुमित जी के गांव में शिक्षा की सुख सुविधाएं नहीं थी कि जिनका इस्तेमाल करके अपने और अपने पिताजी का सपना पूरा करते , इसलिए उनको बहुत कम उम्र में अपने  घर को छोड़ दिया ताकि वो सपने को परा कर सके |

आईएएस की तैयारी कब से शुरुआत की?

सुमित कुमार जी ने वर्ष 2007 में हाईस्कूल की परीक्षा में सफलता प्राप्त की और साथ ही वर्ष 2009 में उन्होंने इंटरमीडिएट की परीक्षा भी शानदार अंकों के साथ उत्तीर्ण की। इसी साल उनका चयन IIT कानपुर में  हो गया था | उन्होंने आईआईटी कानपुर में बीटेक में दाखिला लिया और अपनी पढ़ाई मुकम्मल करने के बाद यूपीएससी की तैयारी की शुरुआत की !

UPSC की परीक्षा कब उत्तीर्ण की ?

सुमित कुमार जी ने वर्ष 2017 में यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा में पूरे हिंदुस्तान में 493 भी रैंक प्राप्त की जिससे उनको डिफेंस अकेडमी में पोस्ट मिली परंतु वह अपनी उपलब्धि से खुश नहीं थे उन्हें उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखें और अगले साल यानी कि वर्ष 2018 में यूपीएससी की परीक्षा को दोबारा से दिया और इस बार उनको ऑल ओवर इंडिया मात्र 53वी रैंक हासिल की और इसके साथ ही उनको IAS की पोस्ट मिल गई

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सुमित जी बताते हैं कि उन्होंने किस तरह से संघर्षों के साथ अपने इस मुकाम को हासिल किया। वो बताते हैं कि उन्होंने मात्र 8 साल की उम्र में अपने गांव को अपनी शिक्षा के लिए छोड़ दिया था, ताकि वह अच्छी तरीके से शिक्षा प्राप्त कर सके और अपना और अपने पिताजी का सपना पूरा कर सकें।

उसके बाद लगातार वह अपने सपनों के पीछे जाते रहे और एक के बाद एक सफलता प्राप्त करते रहे।  सुमित जी आगे बताते हैं कि गांव में किसी ने सोचा भी नहीं था कि उनके गांव का कोई लड़का आईएस बनकर गांव के नाम पूरे हिंदुस्तान में रोशन करेगा जब सुमित जी का चयन आईएएस में हो गया तब जब वो अपने गांव लौटे तो गांव  में जश्न का माहौल था पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ पड़ी सभी लोग जश्न में डूब गए ।

युवाओं के लिए संदेश

यूपीएससी एग्जाम की तैयारी करने वाले हजारों छात्रों के लिए अपने संदेश में सुमित जी कहते हैं इसमें कोई शक नहीं है कि यह परीक्षा सबसे कठिन परीक्षा में से एक है लेकिन अगर छाप खुद में आत्मविश्वास पैदा करें और अपने अंदर यह दृढ़ निश्चय कर ले कि मुझे यह परीक्षा पास करनी है तो यकीन जानिए इस परीक्षा को आसानी से पास कर सकते । बस जरूरत है तो एक सही रणनीति बनाने की और उसको फॉलो करने की ।

इसीलिए आपको परीक्षा के पैटर्न को समझना होगा और आजकल ज्यादातर सवाल करंट अफेयर से पूछे जाते हैं। यूपीएससी प्रीलिम्स परीक्षा में ज्यादातर सवाल करंट अफेयर से ही पूछें जाते हैं। तो आपको करंट अफेयर पर अपनी पकड़ मजबूत करना होगी उसके लिए आपको कोई एक दैनिक समाचार पत्र चाहे वह दा हिंदू हो या दैनिक जागरण।

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