सरल लोलक से आप क्या समझते हैं

दोस्तों आज हम आपको भौतिक विज्ञान के बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक के बारे में बताने जा रहे हैं जिस टॉपिक का नाम है सरल लोलक यह टॉपिक सभी एग्जाम के पॉइंट ऑफ यू से बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इसका गलत कॉन्सेप्ट आपका अच्छे से क्लियर है तो आप आसानी से इसके सवाल इससे संबंधित सवाल को हल कर सकते हैं और अच्छे नंबर प्राप्त कर सकते हैं

प्रश्न 1. सरल लोलक से आप क्या समझते हैं? प्रयोग द्वारा सिद्ध कीजिए कि किसी सरल लोलक का आवर्तकाल सरल लोलक की डोरी से बंधे पिंड के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है।   OR

प्रश्न 1. आवर्तकाल से आप क्या समझते हैं OR

प्रश्न 1.किसी पेंडुलम की लंबाई दोगुनी कर देने पर उसका आवर्तकाल ? OR

प्रश्न 1. सरल ललक क आवरतकल ? OR                                 

प्रश्न 1. यदि सरल लोलक का द्रव्यमान दोगुना कर दिया जाए तो आवर्तकाल ?

उत्तर: सरल लोलक- अगर आप किसी पदार्थ के बहुत ही छोटे परंतु भारी कण को एक बिना भार वाले धागे से जिसकी लंबाई ना बढ़ती हो पूर्ण लचकदार हो, को एक एक सिरे से बांध बांध कर दूसरे सिरे को किसी आधार से बांधकर लटका देंने पर जो सयोजन प्राप्त होता है वह सरल लोलक कहलाता  है।

प्रयोग पत्थर का एक छोटा सा टुकड़ा दीजिए इसे एक डोरी से बंधे डोरी का दूसरा चरण किसी दल आधार से बांधकर पत्थर इस प्रकार लड़का हूं कि वह स्वतंत्रपूर्वक दोलन कर सकें। दोनों का समय अंतराल ज्ञात कीजिए इस समय अंतराल को दोनों की संख्या अर्थात 20 से भाग देने पर एक दोलन में लगा समय ज्ञात कीजिए।

पत्थर के एक स्थान पर कोई अन्य पिंड जैसे छोटी रबड़ बड़ा पत्थर लोहे का टुकड़ा यदि टकराकर उपर्युक्त द्वारा एक दोलन में लगा समय ज्ञात कीजिए ध्यान रहे की डोरी की लंबाई प्रत्येक प्रयोग में एक सी ही चाहिए । हम देखते हैं कि अलग-अलग पिंडों द्वारा एक दोलन में लिया गया समय समान आता है। इससे सिद्ध होता है कि किसी सरल लोलक का आवर्तकाल सरल लोलक की डोरी से बने पिंड के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है।

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प्रश्न 2. प्रत्यानयन क्या समझते हैं ? उदाहरण सहित समझाइए ?

प्रत्यानयन बल किसी दोलन करते हुए पिंड पर उसकी माध्य स्थिति में कोई नेट बल कार्य नहीं करता अतः पिंड माध्य स्थिति में विराम अवस्था में रहता। है परंतु जब एक  पिंड को माध्य स्थिति से विस्थापित करके छोड़ते हैं तो पिंड का एक ऐसा आवर्ती बल कार्य करता है जो सदैव माध्य स्थिति की ओर दिष्ट करता है और पिंड को साम्यावस्था में लाने का प्रयास करता है इस बल को ही प्रत्यानयन बल कहते हैं इसी बल के कारण पिंड में त्वरण उत्पादन होता है यह त्वरण सदैव माध्यम स्थिति की ओर दिष्ट होता है अतः प्रत्यानयन बल बाय बल है जो किसी विस्थापित पिंड  को माध्यम स्थिति की ओर लाने का प्रयास करता है

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